शमी का पेड़ कैसा होता है – Shami Ka Ped Kaisa Hota Hai

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shami ka ped : शमी का पौधा (shami tree) थार के मरुस्थल में अधिक पाया जाता है लेकिन मरुस्थल के अलावा यह वृक्ष सभी जगह उग सकता है इसे राजस्थान में खेजड़ी और जांट, जांटी, सांगरी के नाम से भी जाना जाता है इसका व्यापारिक नाम कांडी है तो ऐसे भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो इसका वैज्ञानिक नाम Prosopis cineraria है।

शमी का पेड़ हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है हमारी धार्मिक कथाओं में भी इसका वर्णन किया गया है अगर आप भी इस वेबसाइट में यह देखने आए हैं कि शमी का पेड़ कैसा होता है (shami ka ped kaisa hota hai) तो आपको इस पोस्ट में उचित जानकारी बताई जाएगी जिससे आप शमी आसानी से पहचान सकते हैं की शमी का पौधा कैसा होता है (shami ka paudha kaisa hota hai)

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शमी का पेड़ कैसा होता है – Shami Ka Ped Kaisa Hota Hai

Shami ka paudha kaisa hota hai : शमी का पेड़ या पौधा भारतीय हिंदू रीति रिवाज के अनुसार बहुत पवित्र माना जाता है शमी के पौधे की एक खास विशेषता है की यह हर मौसम में हरा भरा रहता है यहां तक कि जेठ के महीने में भी यह हरा रहता है जब रेगिस्तान में किसी पेड़ की छाया नहीं मिलती तब इस पेड़ के नीचे आप छाया प्राप्त कर सकते है और जब रेगिस्तान में जानवरों को कहीं भी चारा नहीं मिलता तब इस पेड़ को चारे के रुप में लिया जाता है इसके चारे को लूंग कहते हैं इसकी लकड़ी का प्रयोग हल बनाने में किया जाता है।

शमी का पेड़ बहुत से पौधों से मिलता जुलता है जिससे इसकी पहचान होने में कठिनाई होती है छुई मुई का पौधा इसी की तरह दिखता है सिर्फ उनमें मामूली सा अंतर होता है इन्हीं अंतरों से आप आसानी से शमी का पौधा पहचान सकते है पहला शमी के पौधे की पत्तियां (shami ke patte) छुई मुई के पौधे से मोटी होती यह 32 से 62 फूट के ऊंचाई का हो सकता है शमी के पौधे (shami ka phool) में पुष्प तीन रंग के होते है ये रंग क्रमशः गुलाबी, हल्के पीले और गहरे पीले होते है जबकि छुई मुई के पुष्प सिर्फ एक रंग के होते है और शमी के पेड़ पर फल नही लगता लेकिन छुई मुई के पेड़ पर फल लगते है और शमी के पेड़ में कांटे भी होते है।

शमी के पौधे की पत्तियों को भगवान शिव की पूजा में प्रयोग किया जाता है अगर आपको सही पहचान नहीं होगी तो आप शमी की जगह कोई दूसरे पेड़ की पत्तियां ले आयेंगे जो पूजा के लिए सही नही होंगी।

शमी का धार्मिक कथाओं में उल्लेख

शमी का पौधा भारत में बहुत ही शुभ माना जाता है दशहरे के दिन इस पेड़ को पूजा की जाती है और जब रावण का दहन ही जाए तो घर लौटते वक्त इस पेड़ की पत्तियों को लूट कर घर ले जाया जाता है पांडवों के अज्ञातवास के आखिरी वर्ष में गांडीव धनुष को इसी ब्रक्ष में छुपाया गया था भगवान राम ने लंका विजय से पूर्व इस पेड़ की पूजा की थी भगवान शिव और भगवान शनि को इस पेड़ की पत्तियां बहुत प्यारी हैं इन्हें खुश करने के लिए इस पौधे की पत्तियां उन्हें अर्पित की जाती है माना जाता है की शमी की एक पट्टी एक लाख वेल पत्र के बराबर होती है।

शमी के पौधे के उपयोग – shami ka ped ke fayde

01) शमी के पेड़ की जड़ का हल बनाया जाता है।

02) इसकी लकड़ी को यज्ञ में समिधा के लिए भी उपयोग किया जाता है।

03) अकाल के समय रेगिस्तान के आदमी और जानवरों का यही एक मात्र सहारा है। 

04) इस पेड़ के नीचे अनाज की पैदावार ज्यादा होती है।

05) इसकी लकड़ी मजबूत होती है जो किसान के लिए जलाने और फर्नीचर बनाने के काम आती है।

Shami Ka Ped In English

शमी के पौधे के कई नाम है क्योंकि यह पेड़ कई देशों में पाया जाता है इसे संयुक्त अरब अमीरात में घफ तथा छोंकरा उत्तर प्रदेश में, जंड पंजाबी में, कांडी सिंध में, वण्णि तमिल में, शमी, सुमरी गुजराती मैं कहते है जबकि इसका अंग्रेजी में नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया है।

शमी का पेड़ कहां लगाना चाहिए – shami ka ped kahan lagana chahie

शमी के पौधे को जब आप घर से बाहर निकले तो यह आपके दाएं हाथ की तरफ हो ऐसी जगह पर लगाएं अगर ऐसी जगह नहीं है तो इसे आप अपनी छत पर भी लगा सकते है।

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