महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर | Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar

नमस्कार , आपके परीक्षा में ये प्रश्न जरूर देखे होंगे की Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar likhiye या Mahakavya Ki Paribhasha लिखिए इन्ही ही प्रश्नों से जुड़े जैसे Mahakavya Kise Kahate Hain , Mahakavya Ki Paribhasha Udaharan Sahit Likhiye के जवाब हम इस पोस्ट में बताने वाले है तो पूरा पोस्ट पड़ना जरूरी है .

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महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर | Mahakavya Aur Khandkavya Mein Antar

महाकाव्य खंडकाव्य
महाकव्य में जीवन का संपूर्ण चित्रण होता है खंडकाव्य में जीवन के किसी एक भाग के चरित्र का चित्रण होता है
महाकव्य में आठ सर्ग होते है खंडकाव्य में एक सर्ग होता है
महाकव्य का आकार बड़ा होता है खंडकाव्य का आकार छोटा होता है
महाकव्य में कई छंदों का उपयोग होता है खंडकाव्य में एक छंद का उपयोग होता है
इसका उद्देश्य महान होता है इसका उद्देश्य महान होना आवश्यक नहीं है
उदाहरण – रामचरितमानस , पदमावत , कामायनी उदाहरण – सुदमाचारित , हल्दीघाटी ,पथिक


महाकाव्य की परिभाषा | Mahakavya Ki Paribhasha

महाकाव्य ऐसी पदबद्ध रचना होती है जिसमें किसी महान व्यक्ति का पूर्ण रूप से वर्णन हो एवं इसका उद्देश्य महान हो महाकाव्य कहलाता है 

प्रबन्ध काव्य का भेद महाकाव्य है। महाकाव्य ऐसी रचना को कहते हैं जिसमें कोई इतिहास पुराण प्रसिद्ध कथावस्तु होती है। इसमें शृंगार, वीर तथा शान्त रसों में कोई अंगी रस होता है और शेष रस गौण रूप में व्यंजित होते हैं।

महाकाव्य की विशेषता | Mahakavya Ki Visheshta

(1) प्रारंभ में देवी-देवता की आराधना होनी चाहिए।

(2) महाकाव्य में आठ या अधिक सर्ग होने चाहिए। 

(3) महाकव्य का नायक या नायिका महान और उदात्त चरित्र वाला होता है

(4) महाकाव्य में छंदों का प्रयोग होना चाहिए। 

(5) प्रधान रस शांत, वीर या शृंगार रस होना चाहिए। एवं अन्य रसों का प्रयोग समयानुसार करना चाहिए। 

(6) इसमें यात्रा वर्णन, प्रकृति वर्णन, नगर वर्णन होना चाहिए। 

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महाकाव्य के उदाहरण | 5 Mahakavya Ke Naam

महाकव्य के उदाहरण रामायण (वाल्मीकि ), महाभारत (वेद व्यास ) , रघुवंश Raghuvansh mahakavya (कालिदास) , कुमारसंभव (कालिदास ) , शिशुपाल वध (माघ ) , रामचरित मानस (तुलसीदास) , साकेत (मैथिलीशरण गुप्त ) हैं 

Mahakavya-Aur-Khandkavya-Mein-Antar

खंडकाव्य की परिभाषा | Khandkavya ki Paribhasha 

खण्ड काव्य भी प्रबन्ध-काव्य का एक भेद है। इसमें जीवन को किसी एक घटना या मार्मिक अनुभूति का पूर्णता के साथ चित्रण किया जाता है। खण्डकाव्य जीवन का न तो खण्डित चित्र है, न महाकाव्य का अंश यह सीमित आकार में स्वतः पूर्ण रचना है। उदाहरण-पंचवटी, जयद्रथ वध, नहुष, सुदामा चरित, मिलन, पथिक आदि।


खंडकाव्य की विशेषता | khandkavya Ki Visheshta

(1) खण्ड काव्य में जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अंश का चित्रण होता है। 

(2) घटना के माध्यम से किसी आदर्श की अभिव्यक्ति होती है। 

(3) इसका नायक प्रसिद्ध होता है। 

(4) संपूर्ण रचना एक ही छंद में होती है। 

(5) इसका प्रधान रस, शांत या वीर रस होता है।

खंडकाव्य के उदाहरण | 5 Khandkavya Ke Naam

खंडकाव्य के उदाहरण पंचवटी (मैथिलीशरण गुप्त जी) , जयद्रथ वध (मैथिलीशरण गुप्त जी), सुदामाचरित- (नरोत्तम दास जी) , हल्दीघाटी (श्यामनारायण पाण्डेय) हैं ।

कुछ पूछे जाने वाले सवाल :

प्रश्न : महाकाव्य में कितने सर्ग होते हैं ?

उतर : महाकव्य में आठ सर्ग होते है ।

प्रश्न : महाकव्य और खंडकाव्य में कौन बड़ा है ?

उत्तर : महाकाव्य खंडकाव्य से बड़ा होता है ।

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